
जिले के 02 शिक्षक को किया गया सम्मानित, कार्यक्रम में प्रदेश के 48 शिक्षकों को राज्यस्तरीय सम्मान दिया….
जिले शिक्षक श्री शिवराम भगत एवं श्री जयेश सौरभ टोपनो हुए सम्मानित
जशपुरनगर 22 जुलाई 2021/शिक्षक केवल विभिन्न विषयों का ज्ञान ही नहीं देते बल्कि एक अच्छे नागरिक बनने के गुण भी अपने विद्यार्थियों में विकसित करते हैं। शिक्षक विद्यार्थी के अन्दर छुपी प्रतिभा की पहचान कर उन्हें निखारते हैं और जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। चरित्र निर्माण करने के साथ ही नैतिकता का बीजारोपण करते हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान-2020 समारोह में संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया। राज्यपाल ने सभी सम्मानित होने वाले शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने कोरोना काल में दिवंगत शिक्षकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्य शिक्षक सम्मान स्मृति पुरस्कार 2020 हेतु चयनित 3 शिक्षकों और राज्य शिक्षक पुरस्कार 2019 के लिए चयनित 48 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। जिले से कलेक्टर श्री महादेव कावरे, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री के.एस. मंडावी, जिला शिक्षा अधिकारी श्री एन. कुजूर, प्राचार्य संकल्प शिक्षण संस्थान श्री विनोद गुप्ता सम्मानित होने वाले शिक्षक सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रदेश के 48 शिक्षकों को राज्यस्तरीय सम्मान दिया गया। जिसमें जिले के दो शिक्षक श्री शिवराम भगत प्रधान पाठक शासकीय बालक प्राथमिक शाला सिंटोगा एवं शासकीय नवीन आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के व्याख्याता श्री जयेश सौरभ टोपनो भी शामिल है। जिन्हें कलेक्टोरेट के एनआईसी कक्ष में कलेक्टर श्री कावरे द्वारा 21 हजार का बैंक ड्राफ्ट, प्रशस्ति पत्र, शाॅल तथा श्रीफल देकर सम्मानित किया।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं। वे जलते हुए दीपक की तरह स्वयं जलकर, हमारी जिंदगियों में उजाला भरते हैं। वे न केवल हमें ज्ञान की रोशनी देते हैं बल्कि सच्चाई के मार्ग पर चलने का हौसला भी देते हैं, क्योंकि शिक्षक अपना पूरा जीवन, इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब हम पर कोई भी विपदा आई है, शिक्षकों ने कभी हिम्मत नहीं हारी। पिछले डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा हैं, परंतु शिक्षकों ने इस नए मोर्चे पर भी ऑनलाइन शिक्षण के जरिए पूरी काबिलियत और मेहनत के साथ शिक्षा के मुहिम को जारी रखा। चाहे मोहल्ला क्लासरूम हो या पढ़ई तुंहर द्वार, ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से प्रदेश के शिक्षकों ने पूरे उत्साह और समर्पण के साथ शिक्षण की निरंतरता में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि समाज में शिक्षक समुदाय को हमेशा उच्च स्थान दिया गया है। हमारे ’गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ में अपनी परम्पराओं का सम्मान और शिक्षा का सर्वोच्च स्थान है। शिक्षा लोक कल्याण का सबसे बड़ा माध्यम बने यही हमारा प्रयास है। अध्यापन का पेशा अनादि काल से मौजूद है। पुराने समय में शिक्षण की गुरूकुल प्रथा थी, जहां कई वर्षों तक छात्रों को शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता था। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न स्वर्गीय डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान शिक्षक हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शिक्षक सम्मान के अवसर पर देश के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि एक बालक के जन्म से लेकर उसके सम्पूर्ण जीवन काल में गुरू का उच्च स्थान है। गुरू हमें आने वाली कठिनाईयों से बचने और लड़ने की तैयारी कराते हैं। वर्तमान कोरोना कालखंड में जिस तरह से शिक्षकों ने अपनी भूमिका निभाई है वह ऐतिहासिक है। शिक्षकों ने ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ाई, मोहल्ला क्लास, पढ़ाई तंुहर दुआर जैसे नवाचार के माध्यम से लाखों बच्चों में अध्ययन-अध्यापन की अलख जगाए रखी। आज के दौर में मूल्य आधारित शिक्षा हमारी आवश्यकता बन गई है।